कीच -गंद मन में भरी
जपते ऐसे मंत्र वो, रोज सुबह औ’ शाम।
कीच -गंद मन में भरी, और जुबाँ पे राम।।
—
प्रियंका सौरभ
स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
जपते ऐसे मंत्र वो, रोज सुबह औ’ शाम।
कीच -गंद मन में भरी, और जुबाँ पे राम।।
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प्रियंका सौरभ
स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,