किस मिटटी के बने हो यार ?
मारपीट लड़ाई झगड़े
क्यों करता हैं दंगे फसाद
क्या साथ लाया था जो तूने खो दिया
इकदिन यही छोड़कर जाना होगा
तू अच्छा बेटा बना
न किसीका भैया
तू अच्छा पिता बना
न किसीका सैंय्या
तू अच्छा इंसान बना
न सच्चा देशभक्त
अपने छोड़े न बेगाने
सिर्फ मतलबी बना
क्यों व्यर्थ घमंड करते हो
क्यों सबका दुशमन बना ?
न कभी प्यार का रिश्ता निभाया
बेवजह तना जाने अनजाने में
अभी भी वक्त हैं प्यारे ,दुलारे
तुम्हे अच्छा इंसान बनना होगा
सच की राह आसान नहीं होती मगर
नामुमकिन भी नहीं होती कभी सोच ले…