— किस बात की पारदर्शिता —
बहुत सी चीजें हैं, जो आये दिन देखने और सुनने को मिल ही जाती हैं ! अभी कुछ समय पहले ही खबर पढ़ी, की प्राधिकरण की वजह से, प्राधिकरण की मिलीभगत से अवैध निर्माण बन रहे हैं, यह तब है, जब की मोदी साहब सत्ता में विराजमान हैं ! योगिराज जी के शासन काल में यह सब चल रहा है, परंतू जैसे इन मिलीभगत करने वालों को किसी का खौफ्फ़ ही नही है ! आखिर हिम्मत कैसे हो जाती है, इन सरकार के अंदर बैठे कर्मचारियों की, कि वो मिलीभगत कर के किसी को भी निर्माण करने की खुली छूट दे रहे हैं ! पैसा लेते हैं, अपना घर भरते हैं , पर दूसरे की पूँजी का सत्यानाश करते है, और करवाने वाले खुद भी अपने पैसा का नाश कर रहे हैं !शायद उनके पास नुक्सान झेलने की सामर्थ हो !!
जो पहले भी देखने को मिलता था, वो आज भी देखने को मिल रहा है, तो बदला क्या , कुछ नही बदला, लोग अपने काम को करवाने के लिए रिश्वत देते थे, सरकारी कार्यालय में रिश्वत ली जाती थी, गलत काम खूब होते थे, कोई भी काम सुलभ तरीके से नही होता था, जब तक परेशां न कर ले आदमी को, वो सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाता रहता था , उस के बाद अंत में पैसा दे कर ही काम होता था..! फिर आज अगर हालत बदल गए हैं, तो फिर किस लिए वो ही कदम, यह कर्मचारी उठा रहे हैं, कि मिलीभगत से अवैध निर्माण करवाए जा रहे हैं, इस का साफ़ मतलब तो यही है, कि इनको किसी का डर नही है !
इस रिश्वत की कमाई से यह जगह जगह अनगिनत प्रॉपर्टी एकत्रित कर रहे हैं, अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाने के लिए विदेश भेज देंगे, अच्छे से अच्छे स्कूल, कालेज में पढने को भेज देंगे, जहाँ एक गरीब का बच्चा पैदल या साईकल पर जाएगा, वहीँ इन का कार या बाईक से नीचे पढने नही जाएगा, बीवी के गले में सोने का या हीरों का हार जरुर पहनाया जाएगा, ले देकर यही सामने आएगा, कि इनको जो आदत पहले से पड़ी हुई थी, वो आज भी कायम रहेगी, वरना समाज में इनको कहीं नीची निगाह से देखा जाए , इस लिए स्टेटस को बना के रखना जरुरी समझेंगे !!
आंकड़े कुछ भी कहते हैं, पर धरातल पर जब आदमी अपने काम के लिए निकलता है, तो पता चलता है, कि रिश्वत की जड़ें कितनी मजबूत हो चुकी हैं, कोई सीधे मुंह बात तक नही करता , काम होना तो बहुत दूर की बात है ! जब मिलीभगत से कोई भी काम होना है, तो वो हो कर ही रहेगा, उस में किसी का फायदा, किसी का नुक्सान होना भी लाजमी है, कोई पैसा लेकर भाग जाता है, कोई इसी रिश्वत से सारे काम करवा देता है !!
आर टीओ (परिवहन विभाग) जहाँ पर जाकर ही पता चलेगा की, आपका काम कैसे होगा , कब होगा, किस के माध्यम से होगा, कहने को तो बहुत बार कहा जाता है, कि वहां कोई काम रिश्वत से नही होता, जबकि वहां बिना रिश्वत के काम आज भी नही होता, कौन कहता है, कि काम आसानी से हो जाता है, खुद का तजुर्बा कहता है, कि आर टी ओ के बाहर जो इतने सारे दलालों का जमावाडा लगा हुआ है, उन्होंने पक्की दुकाने बना ली , जो पहले एक मेज कुर्सी पर काम चलाया करते थे, पहले कभी अगर किसी बड़े अधिकारी के आने का समाचार मिलता था, तो सब कुछ समेट कर खिसक लिया करते थे, आज उन सब ने अपनी पक्की दुकाने बना कर ओनलाइन काम को अंजाम दे रहे हैं, और उन सब की मिलीभगत अंदर के बाबूओं से पूरी तरह से संलिग्नता बनी हुई है ! कौन रोक सका उनको, अंदर पैसा देने के बाद ही फाईल आगे बढती है, और आपका लाईसेंस बहुत जल्द घर आ जाता है, क्यूंकि आज किसी के पास समय तक नही बचा, कि वो सीधा जाकर खिड़की पर अपना काम करवा सके, बार बार किसी के बस का नही है, चक्कर लगाना , इसी लिए इन दलालों से काम लेना मजबूरी है ! बाबू कभी कुछ, कभी कुछ कमी निकाल के कागजात आपके हाथ में थमा देगा और आप भी तंग आ जाओगे, तो सोचोगे कि इस से अच्छा होता, कि किसी दलाल की मदद से काम करवा लेता , जो की आखिर में उनके द्वारा ही करवाया जाएगा !!
कहने का अभिप्राय यही निकलेगा , कि रिश्वत का लेना , देना चलता रहेगा, वकत किसी के पास बचा नही , वक्त से काम हो जाए तो इंसान की चिंता दूर हो जाना स्वाभाविक ही है, यह पारदर्शिता इस रिश्वत के माध्यम से ही दूर होगी, कोई बिल्डर कहीं दोषी, कही प्राधिकरण के कर्मचारी दोषी, कहीं खुद इंसान दोषी , कहीं समय न होने से वक्त दोषी , यह सिलसिला चलता रहेगा, कभी शायद ही थमेगा , लोग आते रहेंगे, जाते रहेंगे , काम कभी रूकते नही, वक्त कभी थमता नही, एक ही बात को संब समझते हैं, कि जैसे भी चले , काम चलता रहे, किसी का घर भरे या किसी का उजड़े , यह पहिया कभी थमे नही !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ