Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2024 · 1 min read

किस तरफ़ शोर है, किस तरफ़ हवा चली है,

किस तरफ़ शोर है, किस तरफ़ हवा चली है,
हर-सम्त शोर है, हर-सम्त हवा चली है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

17 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#दोहा-
#दोहा-
*प्रणय प्रभात*
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
manjula chauhan
'उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
'उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
आर.एस. 'प्रीतम'
सम्बन्ध (नील पदम् के दोहे)
सम्बन्ध (नील पदम् के दोहे)
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
फूल खिले हैं डाली-डाली,
फूल खिले हैं डाली-डाली,
Vedha Singh
है नसीब अपना अपना-अपना
है नसीब अपना अपना-अपना
VINOD CHAUHAN
प्यासी कली
प्यासी कली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
Rekha khichi
मेरी शक्ति
मेरी शक्ति
Dr.Priya Soni Khare
है हिन्दी उत्पत्ति की,
है हिन्दी उत्पत्ति की,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"मिर्च"
Dr. Kishan tandon kranti
कलम की दुनिया
कलम की दुनिया
Dr. Vaishali Verma
Quote Of The Day
Quote Of The Day
Saransh Singh 'Priyam'
Tumhari sasti sadak ki mohtaz nhi mai,
Tumhari sasti sadak ki mohtaz nhi mai,
Sakshi Tripathi
सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान।
सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
गांधी जी के नाम पर
गांधी जी के नाम पर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*आते बारिश के मजे, गरम पकौड़ी संग (कुंडलिया)*
*आते बारिश के मजे, गरम पकौड़ी संग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कुंडलिया . . .
कुंडलिया . . .
sushil sarna
*याद है  हमको हमारा  जमाना*
*याद है हमको हमारा जमाना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पिता, इन्टरनेट युग में
पिता, इन्टरनेट युग में
Shaily
नयी सुबह
नयी सुबह
Kanchan Khanna
दुकान वाली बुढ़िया
दुकान वाली बुढ़िया
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
डॉक्टर रागिनी
आसान कहां होती है
आसान कहां होती है
Dr fauzia Naseem shad
तेरी यादें बजती रहती हैं घुंघरूओं की तरह,
तेरी यादें बजती रहती हैं घुंघरूओं की तरह,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"साम","दाम","दंड" व् “भेद" की व्यथा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
दोस्ती का मर्म (कविता)
दोस्ती का मर्म (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
शरीर मोच खाती है कभी आपकी सोच नहीं यदि सोच भी मोच खा गई तो आ
शरीर मोच खाती है कभी आपकी सोच नहीं यदि सोच भी मोच खा गई तो आ
Rj Anand Prajapati
2650.पूर्णिका
2650.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मन तो करता है मनमानी
मन तो करता है मनमानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...