” किस्से इन्हें सुनाने हैं ” !!
पांसे गर पड़ जाये उल्टे ,
हाथ लगे अफसाने हैं !
नींद उड़ चले रातों की फिर ,
किस्से तो मनमाने हैं !!
नफरत की आंधी जब चलती ,
सोच समझ पर पाला है !
भरा कलश अमृत का फिर भी ,
लगे हलाहल हाला है !
व्यक्ति विरोध करेगें केवल ,
इनके पास बहाने हैं !!
चांदी के चम्मच मुंह में हों ,
राजनीति का सेहरा भी !
अँखियों में जागा करता हो ,
जिनके ख्वाब रूपहरा भी !!
सत्ता के गर लोलुप होगें ,
अश्रु नयन ढल जाने हैं !!
सेना से सवाल कर लेगें ,
तारीफों के पुल बांधें !
देशप्रेम है खोया खोया ,
दुश्मन के बैठे कांधे !
श्वेत कपोत उड़ाते फिरते ,
गीत अमन के गाने हैं !!
झूंठे सुर ऐसे अलापते ,
सच अकसर शर्माता है !
छिपा हुआ छल जब जब छलके ,
झूँठ और गहराता है !
सुनने वाले ऊब चले हैं ,
किस्से इन्हें सुनाने हैं !!
चलो पर्व की करें तैयारी ,
अवसर हमें भुनाना है !
करें जागरण आज अनूठा ,
सबको हमें जगाना है !
परखेगें हम रखे कसौटी ,
असल सदा पहचाने हैं !!
बृज व्यास