किस्मत की लकीरें
किस्मत की लकीरें बनाके हटाते ही रहे।
तस्वीर जिंदगी की सजाके मिटाते ही रहे।।
यायावरी ख्याल की सच से वास्ता क्या।
सेज कांटों पे मखमली हम बिछाते ही रहे।।
कश्ती उतार दी हमने जिसके यकीन पर।
थमा के पतवार हमें भंवर में डुबाते ही रहे।।
दावत ए खुशीयों से नवाजा गया था जिन्हे।
असरार खास था कोई मुझे रुलाते ही रहे।।
फर्ज था जिनका आबाद ये चमन करना।
उनकी निगहबानी में चमन उजड़ते ही रहे।।
मुकद्दर की ठोकरें बयां कैसे करें “आशिक “।
बरबाद घोंसलों को हम फिर सजाते ही रहे।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)
9479611151