किस्मत की टुकड़ियाँ रुकीं थीं जिस रस्ते पर
किस्मत की टुकड़ियाँ रुकीं थीं जिस रस्ते पर
जाना उसी से था मगर वक़्त ने यूँ – टर्न ले लिया
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
किस्मत की टुकड़ियाँ रुकीं थीं जिस रस्ते पर
जाना उसी से था मगर वक़्त ने यूँ – टर्न ले लिया
-सिद्धार्थ गोरखपुरी