किस्तों में खुदकुशी
आम जनता की ज़िंदगी
हाय,किस्तों में खुदकुशी
बनता जा रहा देश यह
अब तो मूर्दों की बस्ती…
(१)
दिल में तो आता है कि
फूंक डालूं व्यवस्था को
देखी नहीं जाती मुझसे
मेहनतकशों की बेबसी…
(२)
इतना नीचे गिर चुका है
अब लोगों का मेयार कि
ख़ुद को इंसान कहने में
होती है मुझे शर्मिंदगी…
(३)
मैं क्या बताऊं आपको
सोचकर भी डर लगता है
जाने कहां ले जाएगी
जवानों को यह मायूसी…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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