Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 1 min read

किसे आवाज दूँ

अपनी ही आवाज वापस
कानों में गूँजती मिली,
अपने ही स्वप्न मुझे सोते मिले
शब्द कहीं रेगिस्तानी घाटी में
बदहवास भटकते दिखे
इस अनंत रहस्य व्योम में क्या तलाशूं,
अपनी छाती की तहों तक,
मुझे अपने जीवन के
रहस्य न मिल सके।

किसे आवाज दूँ मैं
कहाँ अपने आप को तलाशूँ
अभी न जाने कितना लम्बा सफर है

कभी तो मुखर हो,
ओ मेरे पीड़ित स्वर!
कहीं तो मुझे अपनी कराह मिले

पल पल के परिवर्तन ने डराया
भय क्रोध आकांक्षाओं ने मुझे हराया
हाय! अपने ही मानस पुष्प में मुझे
पराग कण बीज न मिले

कौन बिछड़ गया
न जाने किसे ढूँढता हूं
जाने इस विराट शून्य में
क्या-क्या पाकर खो जाना है
किससे यह अब पूछूँ मैं क्यों मुझे
हर कली पंखुड़ी नोंचती मिली
अपनी ही आवाज मुझे
अपने कानों में गूँजती मिली।
-✍श्रीधर.

72 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shreedhar
View all
You may also like:
शून्य ....
शून्य ....
sushil sarna
मैं सोचता हूँ आखिर कौन हूॅ॑ मैं
मैं सोचता हूँ आखिर कौन हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
फांसी का फंदा भी कम ना था,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
Rahul Singh
एक चुटकी सिन्दूर
एक चुटकी सिन्दूर
Dr. Mahesh Kumawat
फेसबुक पर सक्रिय रहितो अनजान हम बनल रहैत छी ! आहाँ बधाई शुभक
फेसबुक पर सक्रिय रहितो अनजान हम बनल रहैत छी ! आहाँ बधाई शुभक
DrLakshman Jha Parimal
अक्सर लोगों को बड़ी तेजी से आगे बढ़ते देखा है मगर समय और किस्म
अक्सर लोगों को बड़ी तेजी से आगे बढ़ते देखा है मगर समय और किस्म
Radhakishan R. Mundhra
खुशी पाने की जद्दोजहद
खुशी पाने की जद्दोजहद
डॉ० रोहित कौशिक
*गुड़िया प्यारी राज दुलारी*
*गुड़िया प्यारी राज दुलारी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
और ज़रा भी नहीं सोचते हम
और ज़रा भी नहीं सोचते हम
Surinder blackpen
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
gurudeenverma198
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
ओनिका सेतिया 'अनु '
🌹🌹🌹फितरत 🌹🌹🌹
🌹🌹🌹फितरत 🌹🌹🌹
umesh mehra
दीवानगी
दीवानगी
Shyam Sundar Subramanian
*मोटू (बाल कविता)*
*मोटू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
नए साल की मुबारक
नए साल की मुबारक
भरत कुमार सोलंकी
क्षणभंगुर
क्षणभंगुर
Vivek Pandey
माँ महागौरी है नमन
माँ महागौरी है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बेटी
बेटी
Vandna Thakur
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
Sukoon
शिक्षक
शिक्षक
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
लड़कों का सम्मान
लड़कों का सम्मान
पूर्वार्थ
Good morning
Good morning
Neeraj Agarwal
विध्न विनाशक नाथ सुनो, भय से भयभीत हुआ जग सारा।
विध्न विनाशक नाथ सुनो, भय से भयभीत हुआ जग सारा।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
डर के आगे जीत है
डर के आगे जीत है
Dr. Pradeep Kumar Sharma
#दोहा
#दोहा
*प्रणय प्रभात*
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
क्रिकेटी हार
क्रिकेटी हार
Sanjay ' शून्य'
ग़ज़ल/नज़्म - दिल में ये हलचलें और है शोर कैसा
ग़ज़ल/नज़्म - दिल में ये हलचलें और है शोर कैसा
अनिल कुमार
Loading...