किसी से बैर नही ___ मुक्तक
किसी से बैर नहीं अपना सभी से प्रीत निभाते हैं।
सफर में जिंदगी के हम गीत खुशियों के गाते हैं।
जिंदगी चार दिनों की है किसी से बेर क्या करना।
यही इक मंत्र लेकर के जिंदगी हम तो बिताते है।।
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अच्छी ही बात मिले सबको कथन ऐसे ही कहते हैं।
बोलना हो जरूरी तो दिल से वचन ऐसे ही बहते हैं।।
किसी के बीच में हमने _ कभी ना ऐसा बोला है।
लगे न चोंट किसी को भी हम तो मोन जैसे रहते है।।
राजेश व्यास अनुनय