किसी से कम नही नारी जमाने को बताना है
गीत
लगाकर हौसलों के पर गगन छूकर दिखाना है
किसी से कम नही नारी ज़माने को बताना है
हमारा दिल बहुत कोमल भरा है प्यार ममता से
सदा आँका गया हमको न जाने क्यों विषमता से
न अब जज़्बात में बहकर हमें जीवन बिताना है
किसी से कम नही नारी ज़माने को बताना है
बिछे हों अनगिनत काँटें हमारी राह में देखो
कमी फिर भी नहीं होगी हमारी चाह में देखो
चुभे ये लाख पैरों में मगर मंजिल को पाना है
किसी से कम नहीं नारी ज़माने को बताना है
सुलगने सी लगीं दिल में नई चिंगारियाँ कितनी
हमारा साथ देने को चली हैं आँधियाँ कितनी
नहीं अब फूल सा रहना कि बन चट्टान जाना है
किसी से कम नहीं नारी ज़माने को बताना है
करेंगे सच सभी हम तो यहाँ देखे हुये सपने
नहीं मुँह मोड़ लेंगे पर कभी कर्तव्य से अपने
हमें संतान को देना गुणों का ही खज़ाना है
किसी से कम नहीं नारी ज़माने को बताना है
बिना नारी अधूरा नर बिना नर वो अधूरी है
चलाने सृष्टि को दोनों का सँग रहना ज़रूरी है
बताओ ‘अर्चना’ फिर क्यों पुरुष का ही ज़माना है
किसी से कम नहीं नारी ज़माने को बताना है
डॉ अर्चना गुप्ता