किसी भी गम की
किसी भी ग़म की
न कभी
तेरे हिस्से में
कोई शाम आये ।
मुस्कुराता हुआ
तेरे हिस्से में,
तेरा हर एक
पल आये ।।
तमाम ख़ुशियाँ
जहाँ की
तेरा मुकद्दर हों ।
मेरे लबों की
दुआ का
बस तू ही
मरकज़ हो ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
किसी भी ग़म की
न कभी
तेरे हिस्से में
कोई शाम आये ।
मुस्कुराता हुआ
तेरे हिस्से में,
तेरा हर एक
पल आये ।।
तमाम ख़ुशियाँ
जहाँ की
तेरा मुकद्दर हों ।
मेरे लबों की
दुआ का
बस तू ही
मरकज़ हो ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद