किसी बिस्तर पर ठहरती रातें
न रही इश्क़-ए-सरगर्मी तो क्या हुआ,
सुहानी रूमानी पुरानी मीठी यादें तो हैं।
☘️☘️
हैं तुम्हारे मिरे दरम्यां, दूरियाँ माना,
साथ-साथ बहती, गर्म साँसें तो हैं।
☘️☘️
माना कि दिनभर भागती हैं सड़कें,
किसी बिस्तर पर ठहरती रातें तो हैं।
☘️☘️
कौन कहता है उम्र का बोलबाला है,
ता-ज़िंदगी जवां-रवां, हालातें तो हैं।
☘️☘️
तुम लाख करो कोशिशें, फ़ासलों की,
भौंरों की जुबां पे भी, हमारी बातें तो हैं।
☘️☘️
चाहे फाड़ डालो, ख़त वो तस्वीरें सारी,
तहे-जेहन, लम्स-बोसा-मुलाकातें तो हैं।