किसी पक्षी के जोड़े को
जब भी
किसी पक्षी के जोड़े को
खिड़की से
बाहर कहीं
अपने आसपास
फुदकते देखती हूं
मुझे लगता है कि
शायद यह मेरे मां बाप हैं
जो इस रूप में मुझसे मिलने
मेरी देहरी पर आये हैं
अपने घर का पता अब तक
नहीं भूले
पिछले जन्म का प्यार
इस जन्म में भी
कायम है
मेरा नाम पुकार रहे हैं
भरे भरे कंठ से
बस भाषा के संवाद का
कहीं अभाव है लेकिन
दिल से दिल का मिला होना
आत्मा से आत्मा का जुड़ाव हो
जहां
वहां शब्दों का प्रवाह
हो या न हो
ऐसा कुछ भी आड़े नहीं आता
एक प्यार की गंगा बह रही होती है
मन के मरुस्थल में कहीं
अपनों के दर्शन हो जायें
किसी भी रुप में
ईश्वर स्वरूप है सब
सब कुछ एक सा है
कहीं कोई अंतर नजर नहीं
आता।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001