किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं,
किसी को दिल से चाहना बुरा तो नहीं।
गुनाह होगा ज़माने के नज़र में तो क्या,
ज़माने वाले भी इंसान है खुदा तो नही।।
किसी को मोहब्बत करना गुनाह तो नही,
किसी की इबादत करना गुनाह तो नही।
करते है मोहब्बत इबादत दुनिया में सभी,
पर सबकी इबादत कबूल होती तो नही।।
किसी को मोहब्बत में तड़पाना ठीक नही,
किसी से झूठे वादे कर बहकाना ठीक नही।
करते है जो गुस्ताखी ऐसी वे मोहब्बत में,
ऐसे आशिको को माफ़ करना ठीक नहीं।
पापी को सजा देना कोई गुनाह तो नही,
बुरे को बुरा कहना कोई गुनाह तो नही।
मिलेगे सब तरह के लोग इस दुनिया में,
सच को सच कहना कोई गुनाह तो नही।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम