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16 Feb 2017 · 1 min read

* किसी के मन में चाहत ना हो *

मत टूट शीशे की तरह
मत बिखर शीशे की तरह
कहीं मेरे मासूक के क़दम
इन टुकड़ों पर ना पड़ जाये
लहूलुहान ना हो जाये कहीं
मेरे मासूक के नाजुक क़दम
दिल को बना चकमक -सा
दिल टूटे कोई आहत ना हो
बस इतनी सी मन में राहत
किसी के मन में चाहत न हो ।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 250 Views
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