किसी की राह के पत्थर को, गर कोई हटाता है
किसी की राह के पत्थर को, गर कोई हटाता है।
समझइये वह खुदा से मांगता है, खुश रहे सभी।।
किसी की राह के नश्तर को, गर कोई हटाता है।
खुदा से चाहता है वह, रहे आबाद यहाँ सभी।।
किसी की राह के पत्थर को———————–।।
बड़े मतलबी ये चेहरे, बदल जाते हैं पलभर में।
बनकै झूठे हमदर्दी, बिछुड़ जाते हैं पलभर में।।
किसी की आँख के आँसू की जो, कीमत समझता है।
बड़े ही काम का है वह, करेगा नहीं फ़रेब कभी।।
किसी की राह के पत्थर को——————–।।
मिलेंगे बहुत कम ऐसे, जो समझे औरों के जज्बात।
होते हैं दोस्त भी ऐसे, जो करते हैं यारों से जज्बात।।
किसी के बुझे दीपक को, गर कोई रोशन करता है।
कदर करता है वह सबकी, लूटेगा वह नहीं कभी।।
किसी की राह के पत्थर को——————–।।
हुए हैं कुछ यहाँ आबाद, करके मुफ़लिस को बर्बाद।
बेचकर वो जमीर अपना, कहते हैं खुद को आज़ाद।।
किसी बेघर यतीम को, अगर कोई बसाता है।
होता है सबका रहबर वह, करेगा जुल्म नहीं कभी।।
किसी की राह के पत्थर को——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)