किसी का खौफ नहीं, मन में..
किसी का खौफ नहीं, मन में राम थोड़ी है
कि झूठ बोलना उसको, हराम थोड़ी है
अगर वह फ़ेंक रहा है, लपेट लो मिलकर
वह आदमी है सियासी… इमाम थोड़ी है
किसी का खौफ नहीं, मन में राम थोड़ी है
कि झूठ बोलना उसको, हराम थोड़ी है
अगर वह फ़ेंक रहा है, लपेट लो मिलकर
वह आदमी है सियासी… इमाम थोड़ी है