किसी और से नहीं क्या तुमको मोहब्बत
किसी और से नहीं क्या, तुमको मोहब्बत।
फिक्र सिर्फ उसकी क्यों करता है।।
क्यों सिर्फ उसी के ख्यालों में गुम।
हमेशा ऐसे तू रहता है।।
किसी और से नहीं क्या———————–।।
क्या तेरा कोई परिवार नहीं है।
क्या तेरा कोई यहाँ घर नहीं है।।
आती नहीं क्या तुम्हें याद अपनों की।
क्या उनसे तुमको प्यार नहीं है।।
क्यों नहीं उनसे तुमको मतलब।
क्यों सिर्फ उसी की खबर रखता है।।
किसी और से नहीं क्या——————।।
जरूरी नहीं मोहब्बत, हसीनाओं से ही हो।
मोहब्बत तो सबसे बनाती है रिश्ता।।
मोहब्बत से ही सबको मिलती है खुशियां।
मोहब्बत है रब की लिखी दास्तां।।
तू कर मोहब्बत यहाँ सभी से।
खुश क्यों उसको ही तू रखता है।।
किसी और से नहीं क्या———————।।
अहसान वतन के क्यों भूलता है।
चुकाना है कर्ज तुमको इसका भी।।
अपने लहू से तू सींच इस चमन को।
मत भूल प्यार कभी तू इसका भी।।
कुर्बान इसके लिए तू होना सीख।
क्यों जां उसी पर तू लुटाता है।।
किसी और से नहीं क्या———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)