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25 Aug 2019 · 1 min read

किसान

:दर-दर ठोकर खा रहा, है लाचार किसान।
राजनीति शासन प्रकृति,दिया उसे दुख दान।।

जितनी सरकारें बनी, किया नहीं कुछ काम।
दिखलाया सपने हमें,मृग मरीचिका नाम।।

मायूसी छाया रहा, मुखरे पर दिन रात।
सरकारें सुनती नहीं, उस गरीब की बात।।

युग बदला,बदला नहीं, कृषकों की तकदीर।
बेघर,भूखा मर रहा,आँसूँ ही जागीर।।

Language: Hindi
1 Like · 199 Views
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