किसान क्रान्ति
राह बनेगी क्रान्ति से, बढ़ते चलो किसान
पेट सभी का पालते, तुम असली भगवान
देश के किसान को, झुक-झुक करो प्रणाम
बिगुल बजाया क्रान्ति का, अन्यायी के नाम
नेता की झूठी अकड़, नौकरशाही ठाठ
भारत बन्द किसान ने, किया दिसम्बर आठ
धान अन्न पैदा करे, भूखा मरे किसान
फिर क्यों नेता कह रहे, मेरा देश महान