किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या छः किसान भाई
किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या छः किसान भाई
पैली त यूं तैं कुई भाव नी देणा छा फसल्यों को वाजिब दाम भी नी देणा छा, अभी तक योंन उपेक्षा ही सैही, अब ये सडक्यों पर ऐयी,
किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या छः किसान भाई
सरकार को त इरादो ही यो, मंडियों का बदला बजार खोल्यो,
यां पर ही त किसानू कू बिरोध नया कानून से आयो अवरोध,
ये कानून हटावा मंडियों तैं सशक्त बणावा,
यां पर ही योंंकी कश्मकश चलणी दुइयां तरफ से बयान बाजी चलणी,
किसान की इच्छा एम एस पी पर खरिद्यां,कम देण वालों पर दंण्ड
लगैयां,
अभी कुई पिछनै हटना नी छा,कमर कसी क अगनै बढणा ही छा,
किसान की दिक्कत कुई नी समझणु, किसानन फसल भी कन कैए उगौणु,
किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या किसान भाई।
किसान का सामणी छः सभी धाणी, कभी बरखा पाणी,
कभी ढांडा दाणी, कभी होन्दू अबरखण,कै मा लाणी,
पशु पक्षियों को उजाड भी रांन्दू, कभी बीज ही नी जमी पांन्दू,
पैट्रोल डीजल मैंगू होई जांन्दू, सभी मुश्किल मा किसान ही आंन्दू,
छै महीना की फसल पर टकटकी रैंदी त्यां पर ही घर गृहस्थी चलदी, किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या किसान भाई।
कुई भला मनखी ध्यान धरावा किसान की तंगी दूर हटावा,
किसान की दिक्कत बढी ना जाई, खेती बाड़ी यू छोड ना दियाई
किसान की बेचैनी को मर्म भी समझा, किसान तैं अपणू ही भाई बंधू समझा,
किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या किसान भाई।