किसानों की समृद्धि का लक्ष्य
भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां की 60% से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। परंतु ढांचागत व्यवस्था में कमी के कारण किसानों की दशा अत्यंत दयनीय है ऐसा नहीं है कि सरकार के द्वारा कृषकों के हित में कोई कार्य नहीं किया गया लेकिन भ्रष्टाचारी रवैया और गलत रणनीति के कारण कृषकों की हालत में पर्याप्त सुधार नहीं हो पाया है। पिछले कई वर्षों से किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या आंदोलन एवं उनके मांगों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान सरकार ने किसानों के हित में कई योजनाएं चलाई हैं और 2022 तक उनकी आय दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस संदर्भ में सरकार ने फसल बीमा योजना किसान समृद्धि आदि योजनाओं के साथ साथ प्रधानमंत्री अन्नदाता आए संरक्षण अभियान जारी कर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है इन योजनाओं को सही तरीके से क्रियान्वित कर किसानों की स्थिति में बेहतर सुधार लाया जा सकता है हालांकि इस तरह सरकार द्वारा चलाई गई योजनाएं कोई नई बात नहीं है इससे पूर्वोत्तर सरकारों ने भी कई घोषणाएं की लेकिन सही क्रियान्वयन के अभाव में सभी योजनाएं विफल हुई योजनाएं सिर्फ कागजों पर चलती है धरातल पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहती है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि घोषणा के साथ साथ उचित क्रियान्वयन पर भी ध्यान दिया जाए जिससे अन्नदाता का जीवन खुशहाल हो सके और सरकार अपना लक्ष्य पूरा कर सके
रोहित राज मिश्रा
हिंदू छात्रावास इलाहाबाद विश्वविद्यालय।