-किसको किसका साथ निभाना
-किसको किसका साथ निभाना
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किसे कौन बँधन में बाँधे ,जीवन तो है आना जाना।
संग साथ कौन रहा ,किसको किसका साथ निभाना ।
सुख में हम खुशियों में जीते दुख में घबरा जाते हैं।
सुख – दुख जीवन नैया में तिरते पार उतर जाते हैं।
उनसे रिश्ता पक्का करते जो अब तक था अन्जाना।
किसको किसका साथ निभाना।
कुछ खोकर पाने की चाहत पाते रहना और खो जाना।
लंबा रास्ता पल में कटता अगर मिले जो साथ सुहाना।
नश्वर तन अस्थिर जीवन में मन को मिलता ठौर – ठिकाना।
किसको किसका साथ निभाना
चलना पड़ता है हमको चाहे कैसी भी आ जाए डगर।
खट्टी-मीठी, भूली बिसरी यादों को संग ले जाए सफर।
नित मेरा प्रतिरूप देखकर तुम अपने दिल को बहलाना।
किसको किसका साथ निभाना
डॉअमृता शुक्ला