किरदार अपना अपना
कौन तय करता है किरदार
कौन है नियंता,
किसके हाथ है डोर,
कोई है सिरमौर,
जाने न कोई ओर,
मगर कोई है अगर,
तुम खुद हो यार,
तय कर
तारीख रख देते हो,
समय आता है,
चले जाता है,
बात भूल में पड़ जाती है,
हिसाब पडोस वाले रखते है,
समय समय पर याद दिलाते है,
आपसे आयोजन करवाते,
किरदार अपना अपना,
नाटक है ये,
रंगमंच उसी का,
जन्मभूमि
कर्मभूमि
रणभूमि
डारेक्टर
प्रोड्यूसर
एक्टर
बहुत है घणे फैक्टर,
दिन रात चलते ट्रेक्टर,
किरदार अपना अपना,
जैसे हो कोई सपना,
नहीं कोई पराया,