किया न तुमने जो भरोसा उस ईश्वर पर – मुक्तक
१.
किया न तुमने जो भरोसा उस ईश्वर पर, जिन्दगी
को बीह मझधार पाओगे
चलोगे जो राह संस्कारों से पोषित, तो जीवन को
उत्कर्ष राह पर पाओगे
२.
विलासिता को जो जीवन का लक्ष्य बनाओगे, अभिनन्दन
की राह से भटक जाओगे
लगा लोगे दिल जो प्रभ के चरणों में , इस मानव जीवन |
से मुक्त हो मोक्ष राह की पाओगे
3.
का पर खड़े होकर, मंजिलों के दीदार नहीं
बिना प्रयासों के मुसीबतों के दरिया पार नहीं होते
परेशानियों के इस दौर मैं खुद को संभालकर रखना
अनजानी डगर पर चलकर, खुदा के दीदार नहीं
4.
खामोश रहकर
दिल के ज़ज्बात बयाँ नहीं होते
जज्बातों को दबाकर रखने से
इश्क़ के दरिया पार नहीं होते