किताब का दर्द
किताब का दर्द
जब पढनी ही नहीं थी,
ये ज्ञान भरी किताबें ।
तो लाये क्यों हमें यहाँ,
जरा ये तो बतावें ।।
गर घर सजाने के लिए,
हमें तुम लाये हो तो ।
बहुत चीजें मिल जाती तुम्हें,
यहाँ इन बाजारों में ।।
मेरा सवाल है तुमसे,
तुने मुझे ही क्यों लाया ।
एक कोने में लाकर तूने,छोड़ दिया हमें,
और बदनाम किया इस जमाने में ।।
तेरे जैसों के चलते,
हम काफी परेशान हैं ।
जिसने ज्ञान दिया सभी को,
उसी से तुम अंजान है ।।