“किताबों से भरी अलमारी”
“किताबों से भरी एक अलमारी ,
जरुर रखी है मैंने l
उसे ही देख कर सोचता हूँ
मैं बहुत ख़ुशनसीब हूँ ,
लाज़मी है ,
कृष्ण जैसी यह मार्गदर्शक है l
अमीर हूँ फिर भी ,
मुझे नहीं आयकर वालों का डर ,
लाज़मी है ,
किताबें कोई नहीं चुराता ,
कोई नहीं छिपाता l
बिंदास ,बेख़ौफ़ हूँ
लाज़मी है ,
क्योंकि किताबें मेरी दोस्त है ,
जो सच्ची दोस्ती निभाती है l
इसी किताबों की अलमारी से
हो गया लगाव मेरा ,
क्योंकि दिवस की शुरुआत से अंत तक ,
उदासी से मुस्कान तक ,
निराशा से आशा तक ,
हार से जीत तक ,
यह साथ है मेरे l
इसलिए सोचता हूँ ,
मैं वाक़ई में ख़ुशनसीब हूँ
लाज़मी है ,
इल्म से भरी एक अलमारी,
ज़रूर रखी है मैंने l
नीरज़ कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”