भगतसिंह
कांधे पर अपने
जब सलीब रखता है
तभी कोई शख़्स
एक अदीब बनता है…
(१)
होठों से छूए बिना
प्याला ज़हर का
किसी का बोलना
अब अजीब लगता है…
(२)
जाने क्या रिश्ता
भगतसिंह से मेरा
मुझे दिल के बहुत
वह करीब लगता है…
(३)
अपना ज़मीर तक
जिसे बेचना पड़े
वो शायर कितना
बदनसीब लगता है…
(४)
जिसके घर में नहीं
किताबों का कोना
लाख धनवान हो,
वह ग़रीब लगता है…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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