……….भोली की सीख…………
………भोली की सीख…….
शुचि ने फ्रिज खोला |फ्रिज में ? चॉकलेट न पाकर शुचि जोर जोर से चीखने -चिल्लाने लगी
“मम्मी-मम्मी करण (घर का नौकर उम्र यही कोई दस साल )ने मेरी चॉकलेट खा ली मैने फ्रिज में रखी थी |माँ ने आव देखा न ताव बिना कुछ पूछे कई थप्पड़ बेचारे करण के नाजुक गालों पर जड़ दिये वो भी उस गलती के लिए जो उसने नहीं की थी |तभी करण की छोटी बहन भोली जो मात्र छह साल की थी, आई और बोली, “आंती-आंती मेले भाई को मत मालो | चौकलेत मैंने ली है मुझे मालो | यह लो चौकलेत” कहकर मालकिन के हाथ पर रख देती है जो उसे शर्मा अंकल ने दी थी | तभी मालकिन का बेटा मानस शर्मा अंकल(मानस के पड़ोसी) के साथ आ जाता है | मानस कहता है, “ चॉकलेट ? तो मैंने खाई थी |” तभी शर्मा अंकल की नज़र मालकिन के हाथ पर रखी चॉकलेट पर गई | वो बोले, “यह चॉकलेट तो मैंने इस बच्ची को दिलवाई थी, यह आपके पास कैसे ?” मालकिन जो करण को बुरा भला कह रही थी बगलें झाँकने लगी | एक छोटी सी बच्ची का नैतिक शिक्षा रूपी तमाचा जो पड़ गया था गाल पर | एक छह साल की बच्ची ने अपने भाई को बचाने के लिए अपनी प्रिय चॉकलेट कुरबान कर दी थी| सीमा का प्यार देखकर भाई करण की आँखें छलक आयीं .और पढ़े लिखे लोगों के उस घर को उसने अपनी बहन के साथ अलविदा कह दिया |
शिक्षा…….
किताबी ग्यान के साथ साथ व्यवहारिक और नैतिक ग्यान भी ज़रूरी है |
-रागिनी गर्ग