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18 Dec 2024 · 1 min read

कितनी लाज़वाब थी प्रस्तुति तेरी…

कितनी लाज़वाब थी प्रस्तुति तेरी…
इक झलक पाने को था बड़ा बेताब,
हॅंसकर तूने जो स्नेह भरी पंक्ति पढ़ी,
ऑंखों से मेरे निकल पड़ा था आब।

…. अजित कर्ण ✍️

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