कितना सुहाना मौसम.
कितना सुहाना मौसम
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उड़ती हैं चिड़ियाँ
नील गगन में.
गाती है कोयल
मीठी स्वर में.
नाचता है मोर
पंख फैलाकर.
कितना सुहाना
मौसम है.
खिलते हैं फूल
महक फैलाकर
आती है तितली
मकारंत की खोज में.
आता है भ्रमर भी
गुन गुनाकर
कितना सुहाना मौसम है
सूरज की सुनहरी किरनों
से चम चमाती है आसमान
हलकी हवा में लह लहाते हैं
गेहूँ के हरीली खेत
कितना सुहाना मौसम है
चाहती हूँ मैं पंख फैलाकर
उड़ जाना आसमान में
चाहती हूँ मैं तुम भी मेरे साथ होना.
कितना सुहाना मौसम है
छील में तैरते हैं हम्स
चाहती हूँ मैं भी तैरना
तेरे साथ.
प्यार करते हैं दोनों कबूतर
मैं भी प्यार करना
चाहती हूँ तुम से
उन्हें देख कर
कितना सुहाना मौसम है
दिल में प्यार छलकती है.