कितना रोका था ख़ुद को
कितना रोका था ख़ुद को
फ़िर भी डूब गये
तेरी आँखों की गहराई में..
दीवानों से फिरते हैं
महफ़िल यारी सब छूट गईं
ढूंढा करते हैं,
ख़ुद को तनहाई में..!!!!
हिमांशु Kulshreshtha
कितना रोका था ख़ुद को
फ़िर भी डूब गये
तेरी आँखों की गहराई में..
दीवानों से फिरते हैं
महफ़िल यारी सब छूट गईं
ढूंढा करते हैं,
ख़ुद को तनहाई में..!!!!
हिमांशु Kulshreshtha