कितना भी दे ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
कितना भी दे ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
अगर नहीं संतोष तो, कम है हर ज़ागीर
कम है हर ज़ागीर, नहीं खुश रह पाते वे
नहीं रहा जो पास, उसी को बस गाते वे
कहे ‘अर्चना’ बात, लगे कम पाया जितना
रहती सिर्फ़ निगाह,पास औरों के कितना
डॉ अर्चना गुप्ता