कितना जटिल सरल होना
सहज कितना इच्छाओं का सुधा सोम से गरल होना
मनोवृत्ति और चरित्र का शनैः शनैः तरल होना
स्वार्थपरक इस कलिकाल में भौतिकता का आलम देखो,
सबकुछ सहज मगर सोचो कितना जटिल सरल होना.!
बुद्धं शरणम गच्छामि
सहज कितना इच्छाओं का सुधा सोम से गरल होना
मनोवृत्ति और चरित्र का शनैः शनैः तरल होना
स्वार्थपरक इस कलिकाल में भौतिकता का आलम देखो,
सबकुछ सहज मगर सोचो कितना जटिल सरल होना.!
बुद्धं शरणम गच्छामि