कितना और बदलूं खुद को
कितना और बदलूं खुद को
जीने के लिए ए जिंदगी
मुझमें थोड़ा सा मुझको भी
बाकी तो रहने दे
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
कितना और बदलूं खुद को
जीने के लिए ए जिंदगी
मुझमें थोड़ा सा मुझको भी
बाकी तो रहने दे
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश