का कहीं लोर के
का कहीं लोर के
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जिन्दगी में जहर बा गइल घोर के
बन्द होते न बा का कहीं लोर के
ना ये पार में ना ओ पार में
जुदाई भइल उहो मझधार में
गलती हमरे रहे आकि चितचोर के-
बन्द होते न बा का कहीं लोर के…
बेवफाई के उ पार कइले बा हद
इहे सोच के दिल में उठे दरद
जे जोरल उहे तूरल नरम डोर के-
बन्द होते न बा का कहीं लोर के…
ई खा के कसम खिया के कसम
केहू दी ना कबो प्यार में कवनों गम
खून कइलसि बेदर्दी पोरे पोर के-
बन्द होते न बा का कहीं लोर के…
– आकाश महेशपुरी