#काहे_ई_बिदाई_होला_बाबूजी_के_घर_से?
#काहे_ई_बिदाई_होला_बाबूजी_के_घर_से?
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सेनुरा के संङ्गे नाता छुटे नइहर से,
काहें ई विदाई होला बाबूजी के घर से?
टूटि जाला रिश्ता – नाता माई के आचर से,
काहे ई बिदाई होला बाबूजी के घर से?
एके कोखि जामल जब बेटवा आ बेटिया ,
एगो रहे घरे एगो भइल परदेशिया।-२
टूटि जाला काहे डाली अपने शजर से,
काहे ई बिदाई होला बाबूजी के घर से?
जनमे से नाता रहे बाबूजी आ माई से,
खुनवा के नाता काहे टूटेला बिदाई से?-२
छुटे जनमे के बंधन काहे नइहर से,
काहे ई बिदाई होला बाबूजी के घर से?
सोचतऽ सचिन बनल अजबे नियमऽ बा।
हियरा में हूक भरल, अँखियो तऽ नमऽ बा।-२
आमावा जुदाई काहे सहेला मोजर से,
काहे ई बिदाई होला बाबूजी के घर से?
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’ (नादान)