काश हमें भी कोई लिख पाता
काश हमें भी कोई सोच पाता
तन्हाइयों में हमारी दो तड़पते दिलों को एक कर पाता
हुजूर जर्रा जर्रा बयां कर देते हैं जिस तरह हम उसे
काश निगाहों से निगाहें मिलाकर हमें भी वह पढ़ पाता
काश सजदे में हमारे वह भी चार पंक्तियां लिख पाता