काव्य
शब्द हो निराले,मनोभाव हो पावन,
स्वच्छ अंतर्मन से कविता निकलती है।
काव्य वह जो रस अनुभूति कराए,
कवि की कलम ही, प्रकृति बदलती है।
@साहित्य गौरव
शब्द हो निराले,मनोभाव हो पावन,
स्वच्छ अंतर्मन से कविता निकलती है।
काव्य वह जो रस अनुभूति कराए,
कवि की कलम ही, प्रकृति बदलती है।
@साहित्य गौरव