Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Nov 2024 · 1 min read

#काव्यमय_शुभकामना

#काव्यमय_शुभकामना
■ छठ महापर्व हो मंगलनय।
[प्रणय प्रभात]
“सप्त अश्व से युक्त रथ रुके आपके द्वार,
रत्न जड़ित रथ पर रहें दिनकर स्वयम् सवार।
दिनकर स्वयम् सवार ऊर्जा दें जन-जन को,
छठ-पूजन का पर्व करे उल्लासित मन को।
छठ माता सब पर कृपा बरसाएं दिन-रात,
यही हृदय से कामना करता प्रणय प्रभात।।”
समस्त सनातन परिवारों को “छठ महापर्व” की काव्यात्मक मंगलकामनाएं।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
-सम्पादक-
[न्यूज़&व्यूज़]
श्योपुर (मप्र)

1 Like · 10 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3127.*पूर्णिका*
3127.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हज़ार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
हज़ार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
Dr Archana Gupta
मनुष्य
मनुष्य
Sanjay ' शून्य'
इस सफर में कहो कौन कैसा कहाँ।
इस सफर में कहो कौन कैसा कहाँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हमेशा समय रहते दूसरों की गलतियों से सीख लेना
हमेशा समय रहते दूसरों की गलतियों से सीख लेना
Sonam Puneet Dubey
मेरी कलम से...
मेरी कलम से...
Anand Kumar
मा ममता का सागर
मा ममता का सागर
भरत कुमार सोलंकी
रावण
रावण
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
सोच
सोच
Shyam Sundar Subramanian
मुक़द्दर में लिखे जख्म कभी भी नही सूखते
मुक़द्दर में लिखे जख्म कभी भी नही सूखते
Dr Manju Saini
वक़्त
वक़्त
Dinesh Kumar Gangwar
घर - परिवार
घर - परिवार
manorath maharaj
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Godambari Negi
एक है ईश्वर
एक है ईश्वर
Dr fauzia Naseem shad
*बहुत अच्छाइ‌याँ हैं, मन्दिरों में-तीर्थ जाने में (हिंदी गजल
*बहुत अच्छाइ‌याँ हैं, मन्दिरों में-तीर्थ जाने में (हिंदी गजल
Ravi Prakash
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
कवि रमेशराज
तहजीब राखिए !
तहजीब राखिए !
साहित्य गौरव
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
Suryakant Dwivedi
जै मातादी
जै मातादी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ये खत काश मेरी खामोशियां बयां कर पाती,
ये खत काश मेरी खामोशियां बयां कर पाती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*कमबख़्त इश्क़*
*कमबख़्त इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
VINOD CHAUHAN
दिव्य बोध।
दिव्य बोध।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
■ “दिन कभी तो निकलेगा!”
■ “दिन कभी तो निकलेगा!”
*प्रणय*
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा हिंदुस्तान
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा हिंदुस्तान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
# खरी बात
# खरी बात
DrLakshman Jha Parimal
Loading...