काली सी बदरिया छाई रे
किया मुक्त किशोर को सजनी ने
काली सी बदरिया छाई
मशगूल था मैं लिखने में,
इतने में तस्वीर नयनों में आई
चेहरे पर अचानक फुहार पड़ी,
मौज और मस्ती सी छाई
हैरान था मैं मौसम से,
क्यों काली बदरिया छाई
उनके आने से बढ़ती रौनक थी,
या मौसम की फुहार आई
उस हुस्न अदा के क्या कहने,
नजरों में अचानक छाई
देखा जो उठाकर नजरों को,
जीवन में जवानी सी छाई
जुल्फों की घटाओ में छिपकर,
लेती थी सजनी अंगड़ाई
‘अंजुम’ पूछो न ह्रदय की गति को,
एक आग हृदय में सुलगाई
भीगे तो बहुत मगर बुझ न सकी,
जो आग सजनी ने लगाई
नाम-मनमोहन लाल गुप्ता
मोहल्ला-जाब्तागंज, नजीबाबाद, बिजनौर, यूपी
मोबाइल नंबर 9152859828