कालिया दह
कालिया का गर्व देख, वासुकी का दर्प देख,
नाथ , विष सर्प देख,काली दह कीजिये।
कालिया को नाथ कर,भय को अनाथ कर,
कालिन्दी का जल अब,स्वच्छ कर दीजिये।
कन्दुक को फेंक कर,यमुना में कूद कर,
गोकुल निवासी अब, भक्तिरस पीजिये।
बाँसुरी की धुन सुन, गोपियोँ का मन गुन,
गोकुल के वासियों का ,मन जीत लीजिये।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम