काला साया
……………..काला साया …………
बचपन से ही काले साये से डर लगता था ना माँ मुझको ..कभी कभी अपनी परछाईं से भी डर जाता था ..माँ आपने बताया था काला साया जैसी कोई चीज नहीं होती ..यह तो हमारे मन में उपजे बुरे विचार होते हैं | बस हमारे मन का वहम होता है फिर तुमने मुझसे कहा बेटा तुम्हारी माँ तुम्हारे साथ है तुमको कोई काला साया छू भी नहीं पायेगा …मैं आश्वस्त हो गया माँ…मैं स्कूल जाने लगा ..मुझे लगा यह तो विधा(माँ सरस्वती )का घर है यहाँ काले साये का क्या काम ..मैंने अपने दोस्त से भी बात की काले साये के बारे में वो बोला काला साया दिन में नहीं आता है वो रात में आता है …
माँ यह तो दिन का समय था जब इस काले साये ने मुझे तुमसे जुदा कर दिया ..एक पल में जिन्दा से लाश बना दिया इस काले साये ने मुझको…काला साया बुरे विचार को कहती थीं ना तुम ..यह मनुष्य के अन्दर कैसे आ गया ..माँ में जीना चाहता था ..काश :में इस काले साये से डरता ही रहता …काश:तुमने मुझे बताया होता काला साया इन्सान के मष्तिष्क में निवास करता है …यह विधालय में भी आ सकता है ..यह घर में भी आ सकता है ..यह रात दिन नहीं देखता है ..वाल्यावस्था नहीं देखता है ..यह निर्मम और हत्यारा है ..माँ मेरा हत्यारा ,और मुझ जैसे जाने कितने मासूमों का हत्यारा …माँओं की ममता का हत्यारा …माँ इस काले साये को मार दो माँ ..सब बच्चों को सिखाओ माँ काले साये से डर कर रहे माँ यह सब जगह हो सकता है ,यह सब जगह हो सकता है यह सब जगह हो सकता है ..
सिखाओ माँ गुड टच और वेड टच के बारे में ताकि मेरी तरह कोई मासूम आकस्मिक मौत ना मरे
…….रागिनी गर्ग…….
रामपुर यू.पी .