कार्य का भाव
कार्य का भाव
अपने सुखों की, आनंदो की ,अपने यश की ,प्रतिष्ठा की, यहां तक की अपने प्राणों की भी आहुति चढ़ा दो और मानव आत्माओं का ऐसा सेतु बांध दो जिस पर होकर ये करोड़ो नर नारी भवसागर को पार कर जाए सत्य की समस्याओं को एकत्र करो यह चिंता मत करो कि तुम किस पताका के नीचे चल रहे हो यह भी चिंता मत करो कि तुम्हारा वर्ण क्या है लाल हरा या नीला बल्कि सब लोगों को मिला दो और स्नेह के प्रति श्वेत रंग का प्रखर तेज उत्पन्न करो हम केवल कर्म करें परिणाम अपनी चिंता स्वयं कर लेगा।