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24 Nov 2023 · 2 min read

*”कार्तिक मास”*

“कार्तिक मास”
कार्तिक मास में भगवान की मूर्ति को तुलसी मंजरी अर्पित कर सालिग्राम का पूजन करना चाहिए।
तुलसी व आँवले के वृक्ष की पूजन का भी विशेष महत्व है।
🌿🍃🍀तुलसी मंजरी सहित शालिग्राम पर चढ़ाये हुए जल का चरणामृत लेना चाहिए।
🌿🍃🍀 शंख में भरा हुआ जल शालिग्राम पे चढ़ाकर उस जल को अंग में लगाने से रोग दूर हो जाते हैं।
🌿🍃🍀विष्णु जी व शालिग्राम के आगे धूप दीप जलाने से नरकगामी नहीं होता है चाहे वो मंत्र हीन से चाहे क्रिया से हीन हो परन्तु श्रद्धा से की गई पूजन ही पूर्ण होती है।
🌿🍃🍀 कार्तिक मास में दीपदान का विशेष महत्व होता है दीपक चाहे स्वर्ण सोने का हो चाँदी का हो ताँबे का हो या मिट्टी का या आटे का कोई भी हो श्रद्धा अनुसार यथायोग्य दान करना चाहिए।
🌿🍃🍀 कार्तिक मास में व्रत का भी विधि विधान से संपूर्ण जानकारी से नियम धर्म से संकल्प लिया जाना चाहिए परन्तु अपनी शक्ति व सामर्थ्य के अनुसार व्रत पूजन करना चाहिए।
🌿🍃🍀 कार्तिक मास में मंत्र जप ,यज्ञ ,दान आदि सभी सोलह कलाओं के बराबर भी नहीं है।
🌿🍃🍀तुलसी व आँवले की पूजन का विशेष महत्व है आँवले के वृक्ष के छाया में बैठकर भोजन करने से भी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
🌿🍃🍀 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का मंत्र जप करना चाहिए।
🌿🍃🍀 कार्तिक मास में शालिग्राम व तुलसी पूजन कभी व्यर्थ नहीं जाती है जहाँ पर शालिग्राम है वहाँ पर गंडकी नदी व सभी तीर्थ मौजूद होती है।
🌿🍃🍀 शालिग्राम भगवान में तुलसी मंजरी चढ़ाना चाहिए।
🌿🍃🍀 देवउठनी एकादशी व्रत में अन्न ग्रहण नही करना चाहिए फलाहारी फल मीठा लेना चाहिए।
🌿🍃🍀 परिक्रमा देवी जी की एक बार ,सूर्य देव की सात बार ,अग्नि की सात बार ,गणेश जी की तीन बार ,शिवजी की आधी परिक्रमा व पितरों की तीन या चार बार ,विष्णु जी की चार बार ,तुलसी मैया जी की ग्यारह ,इक्कीस या एक सौ आठ 108 बार परिक्रमा की जाती है।
🌿🍃🍀शालिग्राम की मूर्ति की प्रदक्षिणा सूर्योदय के बाद भी की जाती है।
🌿🍃🍀 समुद्र पर्यन्त सारी पृथ्वी की परिक्रमा करने से जो फल मिलता है वही शालिग्राम व तुलसी की प्रदक्षिणा करने से प्राप्त हो जाती है।
🌿🍃🍀 कार्तिक मास के व्रत पूजन के अंत में ब्राम्हणों को भोजन व यथाशक्ति दक्षिणा देनी चाहिए।
🌿🍃🍀 कार्तिक द्वादशी तिथि को ध्वजारोहण करना चाहिए।
🌿🍃🍀 कार्तिक मास के व्रत का प्रभाव मनुष्य के सभी पापों को नष्ट व सभी कामनाओं को पूरा करने वाला होता है।अपनी सामर्थ्य व श्रद्धा अनुसार शक्ति सामर्थ्य से पूजन कर भगवान विष्णु लक्ष्मी व शालिग्राम व तुलसी मैया जी की कृपा प्राप्त होती है। मन प्रसन्न व ऊर्जा मिलती है। सूर्योदय से पहले तारा स्नान कर सबसे पहले पूजन करना चाहिए पूरे दिन कुछ नयापन ऊर्जा शक्ति प्राप्त होती है।
जय श्री कृष्णा राधे राधे 🙏
शशिकला व्यास✍

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