कारण का खजाना
कारु का खजाना
अध्यापक रमेश ने पैंट के नीचे गर्म पजामी, जूते-जुराब, गर्म ईन्नर, शर्ट, स्वेटर और कोट पहने थे। फिर भी ठंड में कांप रहा था।
कक्षा के छात्र भी चादर, खेश, कम्बल ओढ़कर ठंड से बचने का इंतजाम किए बैठे थे।
अध्यापक की नजर ठंड से ठिठुरते राहुल पर पड़ी।
अध्यापक बोले, “राहुल स्वेटर व जूते डालकर नहीं आया।”
राहुल बोला, “स्वेटर व जूते नहीं हैं सर।”
अध्यापक बोले,” तेरे पापा क्या काम करते हैं?”
राहुल भरे गले से, आँखों में आए आंसू पौंछते हुए बोला, “मेरे पापा कैंसर से पीड़ित थे। पिछले महीने ही उनका देहांत हो गया। मां भी बीमार रहती है।”
अगले दिन अध्यापक रमेश अपने साथ कोट और एक जोड़ी जूते लेकर आए। जो राहुल को दे दिए।
आज राहुल इतना खुश था। जैसे उसे कारु का खजाना मिल गया।
-विनोद सिल्ला