Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2021 · 3 min read

काया का कल्प हो जाना, लड़कियाँ तुम महान हो।

काया का कल्प हो जाना, लड़कियाँ तुम महान हो।
______________________________
मुझे लगता है अब सोच बदलनी चाहिये; हरेक समाज की, हरेक तबके की, हरेक देश की और तो और हरेक गाँव मोहल्ले की भी। मुल्क में आज भी स्त्री को बस स्त्री समझा जाता है इसके इतर कुछ भी नहीं। कई मर्तबा ये कुंठित सोच से पनपे लोग कहते हैं अरे.. लड़की है उसे बाहर नहीं घूमना चाहिये, उसे ऐसा पहनना चाहिए उसे वैसा रहना चाहिए ये, वो हलाना फलाना ढिमकाना आदि-आदि।

इस सोच से ग्रषित 95 प्रतिशत लोग आज मौन हैं। वे मौन इसलिए नहीं कि वे कुछ अच्छा कह नहीं सकते अपितु इसलिये मौन हैं की उनके मन को रास नहीं आया। आएगा भी कैसे? दिमाग को ऐसे अव्यवस्थित किया हुआ है मानो स्त्री का रोल दुनिया में नगण्य हो। और इस कुंठित सोच से कोई भी तबका अछूता नहीं है चाहे वो वेल सोसाइटीज में पले-बढ़े हो या लोअर मिडिल या फिर स्लम एरियाज।

इसी इतिहास को अगर पुरुष वर्ग दर्शाता या किसी अन्य गेम जैसे क्रिकेट इत्यादि में (महिला टीम नहीं) दशकों में ऐसा कारनामा कर डालते तो अभी तक देश में करोड़ो के पटाके फूट गए होते, करोड़ो के इख्तियार छप जाते मीडिया से लेकर तमाम राजनीतिक गलियारों तक शोर-ही-शोर होता अपितु यहाँ नहीं क्योंकि ये कारनामा लड़कियों ने किया है, तथाकथित पुरूष क्रिकेटरों ने नहीं।रुढ़िवादी परंपरा ने स्त्रियों को विवशता की बेड़ियों में जकड़कर रखा है।

बाबा साहब ने कहा था कि अगर किसी समाज की वास्तविक स्थिति को जानना हो तो उस समाज की स्त्रियों की स्थिति को जानना जरुरी है। स्त्रियों की स्थिति में समाज की वस्तुस्थिति परिलक्षित होती है । बेशक आज अप्रासंगिक और आउटडेटेड हो गई परंतु भारतीय समाज का एक बड़ा तबका आज भी इनसे पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाया है । छोटे शहर या कस्बे के निम्नमध्यवर्ग की एक तलाकशुदा लड़की जब शादी के कुछ दिनों या महीनों बाद मायके लौटती है और दबी आवाज में कहती है कि ‘मुझे अब उस घर में नहीं जाना’, तो माँ-बाप के घर में सदी का सबसे भयानक वज्रपात होता है । उसके इस निर्णय की तह में जाने या मिलजुलकर इसका कारण ढूढने की बजाय परिवार के सदस्य खेमे बनाकर उसके खिलाफ मोर्चा साध लेते हैं, और उसके बाद लोग व्यंग-बाण बोलने लगते हैं – ‘और पढ़ाओ लिखाओ उसको, और करवाओ उससे नौकरी’ आदि । स्त्री की सामाजिक स्थिति को विश्लेषित करने के कुछ तयशुदा सिद्धान्त हैं, जिन्हें हम मनुस्मृति से लेकर केट मिलेट, जर्मेन ग्रियर और सिमोन द बुआ की किताबों में पढ़ते हैं उन पर यकीन करते हैं और जब तब उद्धरण देते हैं । किताबे कुछ और कहती हैं पर जीवन से जुड़े आपके निजी अनुभव एक दूसरा ही सच आपके सामने रखते हैं ।

भारतीय समाज में पुरुष वर्चस्व के जड़े इतनी दूर तक और इतने गहरी पसरी हुई हैं कि अपने अगल-बगल, गली-नुक्कड़ जहाँ नजर दौडाएं आपको हर औरत में इस पितृसत्तात्मक समाज से मिले अवांछित दबाव की अलग-अलग किस्में नजर आएंगी। एक पति अपने पत्नी को अपने बराबर की जगह पर भी देखना नही चाहता; यही कुंठितता है। वह अगर एक सीढी भी ऊपर दिखती है तो वह इर्ष्या के डंक से ग्रसित होकर व उसे काटछिल कर नीचे लाने या दबाने की ही कोशिश करता रहता है।
कहा जाता है कि हर कामयाब पुरुष के पीछे एक औरत होती है, पर कितनी कामयाब औरतों के पीछे पुरुषों को खड़ा पाया गया है। ज्यादातर उदाहरण हमें ऐसे ही मिलेंगे जहां कामयाब औरत के पीछे एक असहयोगी, पुरुष होता है और वह स्त्री अपने कार्यक्षेत्र के प्रति एकाग्रता और समर्पण तभी ला सकती है जब वह अपने असहयोगी पुरुष के अरोधक बाड़े को लांघकर ऊससे बाहर आजाती है, क्योंकि औसत तथ्य यही सही है कि कामयाब औरत को एक सामान्य शावनिस्ट पुरुष बर्दाश्त ही नहीं कर सकता।

इति सिद्धम।
✒️Brijpal Singh

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 271 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
💐प्रेम कौतुक-388💐
💐प्रेम कौतुक-388💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हर कोई जिंदगी में अब्बल होने की होड़ में भाग रहा है
हर कोई जिंदगी में अब्बल होने की होड़ में भाग रहा है
कवि दीपक बवेजा
समा गये हो तुम रूह में मेरी
समा गये हो तुम रूह में मेरी
Pramila sultan
जनता की कमाई गाढी
जनता की कमाई गाढी
Bodhisatva kastooriya
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
Shyam Sundar Subramanian
मौन हूँ, अनभिज्ञ नही
मौन हूँ, अनभिज्ञ नही
संजय कुमार संजू
अफसोस-कविता
अफसोस-कविता
Shyam Pandey
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
Shweta Soni
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
समस्त देशवाशियो को बाबा गुरु घासीदास जी की जन्म जयंती की हार
समस्त देशवाशियो को बाबा गुरु घासीदास जी की जन्म जयंती की हार
Ranjeet kumar patre
*सोता रहता आदमी, आ जाती है मौत (कुंडलिया)*
*सोता रहता आदमी, आ जाती है मौत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
2565.पूर्णिका
2565.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*प्यार का रिश्ता*
*प्यार का रिश्ता*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
अति-उताक्ली नई पीढ़ी
अति-उताक्ली नई पीढ़ी
*Author प्रणय प्रभात*
बंगाल में जाकर जितनी बार दीदी,
बंगाल में जाकर जितनी बार दीदी,
शेखर सिंह
वर्षा रानी⛈️
वर्षा रानी⛈️
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
हम चाहते हैं
हम चाहते हैं
Basant Bhagawan Roy
महादेव का भक्त हूँ
महादेव का भक्त हूँ
लक्ष्मी सिंह
हमको मिलते जवाब
हमको मिलते जवाब
Dr fauzia Naseem shad
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
पूर्वार्थ
फिरकापरस्ती
फिरकापरस्ती
Shekhar Chandra Mitra
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
रिश्ते प्यार के
रिश्ते प्यार के
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
नज़राना
नज़राना
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
"जानो और मानो"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे होंठों पर
मेरे होंठों पर
Surinder blackpen
💞 रंगोत्सव की शुभकामनाएं 💞
💞 रंगोत्सव की शुभकामनाएं 💞
Dr Manju Saini
तैराक हम गहरे पानी के,
तैराक हम गहरे पानी के,
Aruna Dogra Sharma
ये जाति और ये मजहब दुकान थोड़ी है।
ये जाति और ये मजहब दुकान थोड़ी है।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...