कायनात
आंखें झिलमिला कर देखूं आती है नजर ।बातें फुसफुसा कर बोलूं सुनती है मगर।।
आती है दिखाने मुझको जलवे हजार ।रूठती , मनाती मुझको लगाके आंसू का बाजार ।।
कितनी भोली सी हंसी ।
कितनी प्यारी सादगी।
दिल कहता रख लूं दिल के पास।।
मेरी चांद की कटोरी “कायनात”
कायनात……
मेरी चांद की कटोरी कायनात।।