Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Oct 2023 · 1 min read

काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है

काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है

कृष्ण में अभिव्यक्ति है शक्ति की भक्ति की,
कर्म से आसक्ति तो फल से भी विरक्ति की।
राधा के कान्हा तो शकुनि के छलिया हैं,
काल दुर्योधन के मुरली के रसिया हैं।
कल्मष विकर्म आदि पातक प्रतिकूल वो,
धर्म कर्म मर्म आदि जिनके अनुकूल हो।
सृष्टि की क्रिया प्रतिक्रिया के चक्र हैं,
सृष्टि के कर्ता भी कारक पर अक्र हैं।
साम,दाम,दंड, भेद ,विषदंत आवेग आदि,
लोभ का संवेग ना हीं मोह संवेग व्याधि।
युद्ध हो समक्ष गर जो शस्त्रों में दक्ष हैं,
पक्ष ना विपक्ष में ना कोई समकक्ष है।
आगत जो काल भी है , काल जो व्यतीत भी,
चल रहा जो आज भी है , गुजरा अतीत भी।
मन की चंचलता में, चित्त के अवधारण में,
सृष्टि की सृजना संरक्षण संहारण में।
रूप रंग देह धारी दृश्य दृष्टित भिन्न वो,
सृष्टि की भिन्नता से भिन्न अवच्छिन्न वो।
कृष्ण सर्व सत्व आदि तत्व अनेकार्थ हैं,
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है।

अजय अमिताभ सुमन

416 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

ओढ दुशाला श्याम का, मीरा आर्त पुकार
ओढ दुशाला श्याम का, मीरा आर्त पुकार
RAMESH SHARMA
तेरा प्यार भुला न सके
तेरा प्यार भुला न सके
Jyoti Roshni
■ मौलिकता का अपना मूल्य है। आयातित में क्या रखा है?
■ मौलिकता का अपना मूल्य है। आयातित में क्या रखा है?
*प्रणय*
हे मां शारदे ज्ञान दे
हे मां शारदे ज्ञान दे
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
संघर्ष
संघर्ष
Ashwini sharma
विजय दशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
विजय दशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
Sonam Puneet Dubey
"उड़ रहा गॉंव"
Dr. Kishan tandon kranti
कहो वह कौन आता है?
कहो वह कौन आता है?
कुमार अविनाश 'केसर'
सात जन्मों की शपथ
सात जन्मों की शपथ
Bodhisatva kastooriya
4716.*पूर्णिका*
4716.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Tumhe Pakar Jane Kya Kya Socha Tha
Tumhe Pakar Jane Kya Kya Socha Tha
Kumar lalit
डार्क वेब और इसके संभावित खतरे
डार्क वेब और इसके संभावित खतरे
Shyam Sundar Subramanian
भय लगता है...
भय लगता है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं और सूरज.
मैं और सूरज.
Heera S
सुन्दर फूलों के
सुन्दर फूलों के
surenderpal vaidya
दिल जीतने की कोशिश
दिल जीतने की कोशिश
Surinder blackpen
मैंने दी थीं मस्त बहारें हैं
मैंने दी थीं मस्त बहारें हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*वसुधैव समन्वयक गॉंधी*
*वसुधैव समन्वयक गॉंधी*
Ravi Prakash
सत्ता परिवर्तन
सत्ता परिवर्तन
Shekhar Chandra Mitra
अप्रीतम
अप्रीतम
Dr.sima
आभासी खेल
आभासी खेल
Vivek Pandey
जब सत्य प्रकाशमय हो
जब सत्य प्रकाशमय हो
Kavita Chouhan
अंधा वो नहीं...
अंधा वो नहीं...
ओंकार मिश्र
कुछ शामें गुज़रती नहीं... (काव्य)
कुछ शामें गुज़रती नहीं... (काव्य)
मोहित शर्मा ज़हन
जुआं उन जोखिमों का कुंआ है जिसमे युधिष्ठिर अपना सर्वस्व हार
जुआं उन जोखिमों का कुंआ है जिसमे युधिष्ठिर अपना सर्वस्व हार
Rj Anand Prajapati
सेल्समैन की लाइफ
सेल्समैन की लाइफ
Neha
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
Phool gufran
प्रेम प्रस्ताव
प्रेम प्रस्ताव
NAVNEET SINGH
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
मनोज कर्ण
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...